धान कटाई के सीजन में हरियाणा सरकार का इस बात पर पूरा जोर है कि किसान पराली खेतों में न जलाएं। इसके लिए राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों के लिए लाखों रुपये के इनाम की घोषणा कर रखी है। किसानों ने भी आगे बढ़कर पराली से कमाई शुरू कर दी है। किसान पराली को ईंधन ब्लॉक का रूप देकर एक निजी एजेंसी के माध्यम से चीनी और पेपर मिलों में सप्लाई कर रहे हैं। वे इस काम को समूह बनाकर अंजाम दे रहे हैं।
हरियाणा कृषि विभाग के उप निदेशक डा. गिरीश नागपाल ने ‘एन्वायरमेंट फ्रेंडली एंड इकोनॉमिक वे टू डिस्पोज पैडी स्ट्रा’ नाम से एक खास रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को सौंपी है। यह रिपोर्ट हरियाणा के 499 गांवों की करीब 2.10 लाख एकड़ जमीन पर होने वाली धान की खेती के बाद बचने वाली पराली पर आधारित है। रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह से किसान पराली को ईंधन बनाकर उसे बेचकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। रिपोर्ट में डा. गिरीश नागपाल का कहना है कि धान की कटाई के बाद एक एकड़ से करीब 2 टन पराली निकलती है। जिसके एक्स-सी टू उपकरणों की मदद से ईंधन नुमा ब्लॉक तैयार होते हैं। ये ईंधन नुमा ब्लॉक बाजार में 1800 रुपये प्रति टन बिकते हैं।
जबकि यदि किसान खुली पराली बेचना चाहें तो वह 1200 रुपये प्रति टन में बिकती है। पराली की खरीद पेपर मिलें, चीनी मिलें व अन्य प्राइवेट कंपनियां करती हैं। किसान के पास यदि पराली से ईंधन बनाने वाले अपने उपकरण न हों, तो प्राइवेट एजेंसियां उनके खेतों में ही अपने एक्स-सी टू उपकरणों से पराली ईंधन ब्लाक बनाकर उसे वाहनों में भर कर मिलों तक पहुंचा रही हैं। किसान उनकी मदद से भी कमाई कर सकता है। रिपोर्ट में सरकार से आग्रह किया गया है कि यह मॉडल गांवों में लागू किया जाए।