नूरपुर शहर का एक किनारा चट्टानों के साथ बसा हुआ है। चट्टानों के साथ साथ कई मकान व सरकारी दफ्तर सटे हुए हैं। लेकिन पिछले चार दिनों में जिस प्रकार मूसलाधार बारिश के चलते दो बार चट्टानें खिसक कर नेशनल हाइवे पर गिरी है उससे चट्टान किनारे बसने वाले लोग सहमे हुए हैं। नूरपुर के न्याजपुर के साथ साथ ढ़क्की क्षेत्र में कई रिहायशी मकान व दफ्तर चट्टानों के किनारे पर बने हुए हैं जो इस समय खतरे की चपेट में है।
बरसात के दिनों में भूस्खलन होने से यह क्षेत्र संवेदनशील माना जाता है। पिछले कुछ सालों से यहां चट्टानों का मलबा गिरने की कोई घटना नहीं हुई हैं, लेकिन अतीत में यहां भूस्खलन के चलते चट्टानें दरकती रही हैं। लेकिन अब सालों बाद इसी दक्षिणी हिस्से में ढक्की की बजाय न्याजपुर के पास यकायक चट्टानें दरकने से लोग सहम गए हैं। नूरपुर शहर का वार्ड 9 का भी एक हिस्सा भूस्खलन के लिहाज से संवेदनशील हैं और यहां दो साल पहले करीब आधा दर्जन से ज्यादा परिवार अपने आशियाने खो चुके हैं।
दूसरी तरफ एनएच 154 पर ढक्की से कोर्ट रोड वाली चट्टान पर करीब आधा दर्जन सरकारी दफ्तर, आवास व शहर के वार्ड तीन की एक चौथाई आबादी बसती हैं। इन सरकारी दफ्तरों में नूरपुर नगर परिषद कार्यालय समेत कुछ रिहायशी मकान नेशनल हाइवे से गुजरते साफ नजर आते हैं। इसके अलावा खंड विकास कार्यालय, एसडीएम व लोनिवि के अधीक्षण अभियंता का सरकारी आवास, पुलिस थाना, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल और नूरपुर के ऐतिहासिक किले में स्थित श्री बृजराज स्वामी मंदिर भी इसी चट्टान पर बना हुआ है।
वहीं, ढक्की बस स्टाप से मेन बाजार को जाने वाले रास्ते के ऊपरी हिस्से पर दक्षिणी किनारे पर बने रिहायशी मकान भी खतरे के मुहाने पर खड़े हैं। ढक्की में नेशनल हाईवे के बिल्कुल साथ सटी विशाल चट्टान के दरकने की स्थिति में यह राजमार्ग कभी भी बंद हो सकता हैं। जो अतीत में भूस्खलन के चलते होता भी रहा हैं। मंगलवार को न्याजपुर के पास ऊषा माता मंदिर के रास्ते के नीचे नेशनल हाईवे पर चट्टान दरकने से उक्त क्षेत्र भी अब खतरे की जद में आ गया हैं। यहां बीते पांच दिनों में दो बार चट्टानों का मलबा नेशनल हाईवे पर गिरने से ऊपरी भाग पर बसे लोग भी अब सहमे हुए हैं।