सरकार द्वारा किसानों को पराली जलाने के नुकसान से अवगत कराया जा रहा है। बार बार किसानो से गुहार लगाई जाती है कि किसान अपने खेत में पराली न जलाए, जिससे उनके अपने परिवार को भी नुकसान होता है। हालांकि किसान अभी भी मानने का नाम नहीं ले रहे हैं। एक किसान का कहना है कि अगर वह पराली न जलाए तो क्या करें। सरकार तो कुछ समाधान कर नहीं रही है। सरकार से हमने 6000 रुपये एक किले की पराली की मांग की थी लेकिन आज तक 6 रुपये नहीं मिले है। किसान जब पराली जलाता है तो सरकार को दिल्ली जाता धुआं नजर आता है, लेकिन जब यही पराली बड़ी मिलों में जाकर जलती है तो सरकार को उसका धुआं नहीं दिखता।
उधर, किसानों का धरना प्रदर्शन भी जारी है। सितंबर से किसान मजदूर संघर्ष समिति पंजाब की जेल भरो मोर्चा ने अपने 40वें दिन और ट्रेन रोको मूवमेंट ने अपने 22 वें दिन में प्रवेश किया। वीरवार को रेल रोको आंदोलन को संबोधित करते हुए राज्य महासचिव सरवन सिंह पंडेर ने कहा कि कैप्टन सरकार का चेहरा तब उजागर हुआ, जब वह हाईकोर्ट में मोदी सरकार के साथ हो गए।
उन्होंने कहा कि पंजाब भाजपा के किसान और यूनियन और मंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पंजाब में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें आंदोलन का राजनीतिकरण नहीं करने देना चाहिए।