कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली का वायु प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है। सर्दियों की दस्तक अभी हुई भी नहीं है और इसमें 18 फीसद का इजाफा हो गया है। जिस रफ्तार से पंजाब और पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं, उस हिसाब इसी सप्ताहांत में दिल्ली का एयर इंडेक्स भी मध्यम से खराब श्रेणी में पहुंचने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। ऐसे में लोगों का सांस लेना तक दूभर हो जाएगा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) औैर मौसम विभाग के दिल्ली में स्थापित करीब 35 वायु गुणवत्ता निगरानी संयंत्रों के माह भर के आंकड़ों का जो विश्लेषण सामने आया है, वह चौंकाने वाला है। इस विश्लेषण के मुताबिक सितंबर 2019 में पीएम 2.5 का औैसत स्तर 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था, जबकि सितंबर 2020 में यह 47 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज हुआ है।
इसी तरह नासा की सैटेलाइट इमेज के अनुसार सितंबर 2019 के मुकाबले सितंबर 2020 में पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं दोगुनी हो गई हैं। पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में भी पराली जलाने की काफी घटनाएं सैटेलाइट इमेज में सामने आ रही हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो इस स्थिति के पीछे पराली जलाने की घटनाओं में इजाफा तो है ही, इस वर्ष सितंबर में 83 फीसद तक कम बारिश होना भी है। चिंता की बात यह भी है कि हवा की दिशा अब उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी होने लगी है। इस हवा के साथ पराली का धुआं दिल्ली पहुंचने लगेगा। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इसी सप्ताहांत में दिल्ली का एयर इंडेक्स 200 का आंकड़ा पार कर खराब श्रेणी में पहुंच सकता है।
प्रो. एसएन त्रिपाठी विभागाध्यक्ष, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आइआइटी कानपुर का कहना है कि सितंबर में ही दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का बढ़ना खतरे का संकेत है। 15 अक्टूबर के बाद जब हवा की दिशा पूर्णतया बदल जाएगी और पंजाब-हरियाणा में पराली भी ज्यादा जलने लगेगी तो स्थिति विकट हो जाएगी। कोरोना संक्रमण के बीच प्रदूषण का बढ़ना मृत्यु दर में इजाफे की वजह भी बन सकता है। इसलिए इसकी रोकथाम के लिए गंभीरता से प्रयास करने की जरूरत है।