पंजाब के वीआईपी जिले मोहाली की हवा पिछले पांच साल में इस साल सबसे ज्यादा जहरीली हुई है। इसकी वजह है, मोहाली में सबसे अधिक पराली का जलना। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आकंड़े बताते हैं कि मोहाली में पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले सैटेलाइट की पकड़ में आए हैं।
पिछले पांच साल में मोहाली जिला दूसरे और तीसरे पायदान से लुढ़कता हुआ चौथे पायदान पर पहुंच गया है। जिले का डेराबस्सी ब्लॉक पराली जलाने में सबसे आगे है, जबकि खरड़ ब्लॉक दूसरे नंबर पर बना हुआ है। त्योहारों के सीजन में वीआईपी सिटी में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना रहा। यही वो समय था, जब खेतों में त्योहारों के बहाने पराली जलाई जा रही थी। हालांकि पिछले साल में मोहाली राज्य के उन बेहतरीन जिलों में शुमार रहा है, जहां पराली जलाने के कम मामले दर्ज किए जाते रहे हैं। पिछले दो साल से मोहाली में फिर से पराली जलाने का रुझान बढ़ रहा है।
ग्राम स्तर पर तैनात की गई नोडल अधिकारियों की टीमों सहित रैपिड रिस्पांस टीमों ने भी माना था कि जिले में 50 फीसदी से ज्यादा पराली जलाई गई है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जिले में सैटेलाइट से इस साल पराली जलाने के 262 मामले सामने आए हैं। इसी कारण मोहाली राज्य में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। पठानकोट पिछले पांच साल से लगातार सबसे कम पराली जलाने वाला जिला बना हुआ है। मोहाली का पड़ोसी रोपड़ पिछले दो साल से जिले को पछाड़ रहा है।
इस बार शहीद भगत सिंह नगर यानी नवांशहर जिला भी मोहाली को मात देकर अपनी स्थिति में सुधार करने में कामयाब रहा। इस साल पठानकोट में महज 11, शहीद भगत सिंह नगर में 192 और रोपड़ में 209 मामले दर्ज किए गए हैं। 2019 में मोहाली में पराली जलाने के 201 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि पठानकोट में सिर्फ 4 और रोपड़ में 131 मामले आए थे।
2018 में भी पठानकोट पराली जलाने के 9 मामलों के साथ राज्य में अव्वल था, जबकि रोपड़ 82 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर व मोहाली 144 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर था। इससे पहले वर्ष 2017 में भी पठानकोट पराली जलाने के 13 मामलों के साथ राज्य में अव्वल रहा था, जबकि 168 मामलों के साथ मोहाली दूसरे स्थान पर था। वहीं वर्ष 2016 में मोहाली जिला 240 मामलों के साथ राज्य में दूसरे स्थान पर रहा था। पहला स्थान पठानकोट का था, जब वहां पराली जलाने के महज 28 मामले रिकार्ड किए गए थे।
मोहाली का डेराबस्सी ब्लॉक 2017 से 2019 तक सबसे ज्यादा पराली जलाता रहा है। 2016 के दौरान जिले में सबसे ज्यादा पराली जलाने वाला खरड़ ब्लॉक 2017 और 2018 में सुधरा, लेकिन 2019 में फिर से खरड़ के किसानों ने पराली जलाने के मामले बढ़ा दिए।