डंपिंग ग्राउंड की भीषण आग ने चंडीगढ़ के वायु प्रदूषण में 20 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। हवा में पीएम 2.5, पीएम 10 के साथ सल्फर डाईआक्साइड व बैंजीन की मात्रा में काफी वृद्धि हुई है। यह दावा पंजाब यूनिवर्सिटी व पीजीआई की टीम ने आग लगने से पहले और उसके बाद के वायु प्रदूषण के एक तुलनात्मक अध्ययन में किया है। पंजाब यूनिवर्सिटी में चंडीगढ़ प्रदूषण नियंत्रण कमेटी का एक मापन यंत्र स्थापित है, जिसकी मदद से प्रदूषण के स्तर को जांचा गया है।
डड्डूमाजरा स्थित डंपिंग ग्राउंड में मंगलवार शाम को आग लग गई थी, जो देर रात भीषण आग में तब्दील हो गई थी। इससे निकला धुआं करीब चार से पांच किलोमीटर तक फैल गया था। धुएं से आसपास के लोगों को सांस लेने और आंखों में जलन की शिकायत हुई थी। आग पर काबू पाने में तीन दिन लग गए थे। विशेषज्ञों ने बताया कि डंपिंग ग्राउंड में गीले के साथ सूखा कूड़ा डाला जा रहा है। आर्गेनिक कूड़े में जैविक क्रिया होने से मिथेन गैस उत्पन्न होती है, जो सूखे कूड़े के साथ मिलकर आग लगने का खतरा बढ़ा सकती है।
बैंजीन एक आर्गेनिक केमिकल कंपाउंड है। चिकित्सीय शोध में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि बैंजीन एक कैंसर एजेंट है। बैंजीन हवा के जरिए फेफड़ों में पहुंचता है और वहां से कैंसर का कारण बनता है। सल्फर डाईऑक्साइड भी एक हानिकारक वायु प्रदूषक है। यदि सल्फर डाईऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ती रही तो लोगों की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
डड्डूमाजरा स्थित डंपिंग ग्राउंड न सिर्फ आसपास के इलाकों के लिए बल्कि पूरे शहर के लिए नासूर बन चुका है। 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां पर यहां पर करीब पांच लाख टन से ज्यादा कूड़े का पहाड़ खड़ा है। पिछले 50 साल से यहां पर कूड़ा जमा हो रहा है और समय-समय पर आग लगती रहती है। पिछले कई सालों से प्रशासन डंपिंग ग्राउंड के कूड़े का निस्तारण करने के लिए दावा करता आया है लेकिन फिलहाल इस दिशा में कोई भी कार्य नहीं हुआ है।
आग लगने पर कितना बढ़ा प्रदूषण
प्रदूषण छह से पहले छह के बाद बढ़ोतरी फीसदी
पीएम 2.5 37 48 25
पीएम 10 106 129 18
एसओ 2 6 9 40
बैंजीन 5 6 26
टाल्यूईन 0.38 0.4 24